अयोध्या न्यूज डेस्क: दीयों और अयोध्या उत्सव को लेकर मचे सियासी घमासान के बाद अब एक नया विवाद सामने आया है — इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आईएनएस विक्रांत पर मनाए गए दिवाली समारोह को लेकर। मंगलवार को इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गए। कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने पीएम मोदी के दौरे को “फोटो ऑप” बताते हुए कहा कि जिस युद्धपोत पर वे गए, वह कांग्रेस सरकार के समय में कमीशन हुआ था। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री का नौसेना के साथ दिवाली मनाना स्वागतयोग्य है, पर वे उस चीज़ का श्रेय नहीं ले सकते जो उनके समय में बनी ही नहीं। अगर राजनीति करेंगे, तो जवाब भी मिलेगा।”
भाजपा ने पलटवार करते हुए गांधी परिवार पर आरोप लगाया कि उन्होंने नौसेना के युद्धपोतों का “पर्सनल वेकेशन स्पॉट” की तरह इस्तेमाल किया — इशारा राजीव गांधी की 1987 की आईएनएस विराट यात्रा की तरफ था, जिस पर नौसेना अधिकारियों ने पहले ही सफाई दी थी कि वह आधिकारिक दौरा था।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल भी अपनी परंपरा जारी रखते हुए दिवाली भारतीय नौसेना के साथ मनाई। उन्होंने गोवा और करवार तट के पास देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर नौसेना अधिकारियों और जवानों के साथ दिवाली मनाई। उन्होंने इसे “समुद्र पर खास दिवाली” बताया और कहा कि भारत की सीमाएं हमारे वीर सैनिकों की वजह से सुरक्षित हैं। उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ और रक्षा आधुनिकीकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया।
यह विवाद तब और गहरा गया जब लोगों ने मोदी के इस दौरे की तुलना राजीव गांधी के पुराने प्रकरण से कर दी। विश्लेषकों का कहना है कि दोनों घटनाओं की तुलना करना संदर्भ से परे है — मोदी की यात्रा जहां सैनिकों के सम्मान और आत्मनिर्भरता का संदेश देती है, वहीं राजीव गांधी का दौरा एक अलग समय और परिस्थिति का हिस्सा था। कांग्रेस और नौसेना अधिकारियों ने बार-बार कहा है कि राजीव गांधी की यात्रा आधिकारिक थी और उसमें किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ था।